संगत का असर — "जीवन की दिशा बदलने वाली शक्ति"


“पानी की एक बूँद अगर गर्म तवे पर गिरे तो भाप बनकर उड़ जाती है,
अगर वही बूँद कमल के पत्ते पर गिरे तो मोती सी चमकने लगती है,
और यदि किसी सीप में चली जाए, तो असली मोती बन जाती है।”

यही है संगत का असर — वही बूँद, वही तत्व, लेकिन परिणाम अलग-अलग, क्योंकि वह जहाँ पहुँची, उसकी प्रकृति ने उसे नया रूप दे दिया।

हमारे जीवन में भी कुछ वैसा ही होता है। हम सभी एक समान जन्म लेते हैं — कोरे कागज़ की तरह। परंतु जैसे-जैसे हम जीवन की राहों पर चलते हैं, वैसे-वैसे हमारी संगति, यानी हमारे आस-पास के लोग, वातावरण, सोच और आदतें हमें ढालने लगती हैं।

बच्चों का व्यवहार माता-पिता और परिवार की संगति में ढलता है। युवा साथियों के साथ अपने चरित्र का निर्माण करता है। और वयस्क अपने कार्यस्थल और सामाजिक संबंधों से अपने जीवन की दिशा तय करता है।

संगत केवल साथ बैठना नहीं होती, यह सोच, व्यवहार और दृष्टिकोण का आदान-प्रदान होता है। अगर हम सकारात्मक, प्रेरणादायक और ईमानदार लोगों के संपर्क में रहें, तो हम खुद भी वैसे ही गुण आत्मसात कर लेते हैं। वहीं, नकारात्मक सोच और गलत आदतों वाली संगति धीरे-धीरे हमारे अंदर की अच्छाई को भी मुरझा देती है।इसलिए कहा गया है —

"जैसी संगत, वैसा रंग।"

हमारी संगत हमारी पहचान बन सकती है या मिटा भी सकती है।

वो पानी की बूँद अगर सीप में पहुँचे तो मोती बनती है, लेकिन अगर तवे पर गिर जाए तो लुप्त हो जाती है। इसीलिए, हमें सावधानीपूर्वक तय करना चाहिए कि हम किसके साथ समय बिता रहे हैं, किससे प्रेरणा ले रहे हैं और किस दिशा में बढ़ रहे हैं।

अंत में, एक विचार:
"संगत बदलो, तो सोच बदलेगी;
सोच बदलेगी, तो जीवन बदलेगा।"



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